धान घोटाले की ‘काली जांच’ पर भडक़े किसान, काले कपड़े पहन फूटा ग़ुस्सा

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किसानों ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एसीएस आईएएस डी. सुरेश पर भी लगाए गंभीर आरोप
कहा : भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त अधिकारियों को अहम जिम्मेदारियां सौंप कर घोटालों को बढ़ावा दे रही सरकार
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर दी स्पष्ट चेतावनी, धान घोटाले की पारदर्शी जांच नहीं हुई तो होगा राज्यव्यापी आंदोलन

फरीदाबाद 13 नवंबर। प्रदेश में धान खरीद प्रक्रिया में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग अब आंदोलन का रूप ले चुकी है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान के नेतृत्व में किसानों ने शुक्रवार को करनाल में काले कपड़े पहनकर जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए प्रशासन और सरकार पर काली जांच के नाम पर सच्चाई दबाने का आरोप लगाया। किसानों ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एसीएस आईएएस डी. सुरेश पर भी हमला बोला और गंभीर आरोप लगाए। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त अधिकारियों को बचा रही है और उन्हें अहम जिम्मेदारियां सौंप रही है। किसानों का कहना था कि जब तक धान घोटाले में शामिल सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने नारेबाज़ी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस डी सुरेश जैसे अधिकारी को  इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर सरकार खुद घोटाले को बढ़ावा देना चाहती है। उन्होंने मांग की कि धान घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की जाए और दोषी अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर जेल भेजा जाए। वीरवार सुबह 11 बजे जाट धर्मशाला से काले कपड़े और काले बिल्ले लगाकर हजारों किसान पैदल मार्च करते हुए जिला सचिवालय पहुंचे। वहां उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर धान घोटाले की पारदर्शी जांच नहीं हुई तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

भाकियू प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि किसानों के खून-पसीने की कमाई पर कुछ अफसर, बिचौलिए और राजनीतिक लोग डाका डाल रहे हैं। सरकार ने घोटाले की जांच को काली जांच में बदलकर दोषियों को बचाने की कोशिश की है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो किसान सडक़ों पर उतरकर पूरे प्रदेश को जगा देंगे। उन्होंने कहा कि मंडियों और खरीद केंद्रों पर लंबे समय से गड़बडिय़ों की शिकायतें दी जा रही थीं, लेकिन सरकार ने उन्हें नजऱअंदाज़ कर दिया। अब जब घोटाला उजागर हुआ है, तो उसे दबाने का खेल शुरू हो गया है।

किसानों का कहना है कि आईएएस डी. सुरेश पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, जिनकी जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है। इसके बावजूद उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का मुखिया लगाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने से किसानों और आम जनता में गहरा रोष है। प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि जब किसी अधिकारी पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठे हों, तो उसे इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी क्यों दी जा रही है। किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ऐसे अधिकारियों को संरक्षण देकर घोटालों की जड़ को और मजबूत कर रही है। उनका कहना था कि अगर सरकार सच में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन चाहती है, तो उसे पहले ऐसे विवादित अधिकारियों को पदों से हटाना चाहिए था और जांच पूरी होने तक उन्हें किसी भी नीति निर्धारण से दूर रखना चाहिए।
संघर्ष जारी रहेगा
भाकियू अध्यक्ष रतन मान ने कहा कि यह संघर्ष सिर्फ एक जांच तक सीमित नहीं रहेगा यह किसानों की इज्जत, मेहनत और अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस आंदोलन में एकजुट होकर हिस्सा लें और सरकार को दिखा दें कि किसान अब चुप नहीं बैठेगा। सरकार किसानों की शांति को कमजोरी न समझे। रतनमान ने कहा कि अगर किसान सडक़ों पर उतर आया, तो यह लहर करनाल से निकलकर पूरे देश में एक नया इतिहास लिखेगी।
धान घोटाले की पूरी कहानी
आंकड़ों के अनुसार
वर्ष धान की आमद (मीट्रिक टन)
2024 54 लाख 1 हजार टन
2025 58 लाख 70 हजार टन
विभाग की रिपोर्ट में साफ है कि वर्ष 2025 में प्राकृतिक कारणों से धान की पैदावार में 25 से 30 प्रतिशत की कमी आई। ऐसे में धान की अपेक्षित आमद 40 लाख 50 हजार मीट्रिक टन रहनी चाहिए थी — यानी पिछले साल से 13 लाख 50 हजार टन कम। लेकिन उल्टा हुआ — इस साल 4 लाख 69 हजार टन ज्यादा आमद दर्ज की गई। इस तरह 18 लाख 22 हजार मीट्रिक टन की फर्जी बढ़ोतरी दिखा दी गई है, जो मंडियों में फर्जी गेट पास काटकर की गई है। इस फर्जीवाड़े की कीमत 2389 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से करीब 4 हजार करोड़ रुपये बैठती है।

 सरकारी बजट और भ्रष्टाचार का बोझ
भाकियू प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2025 में धान खरीद के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था। लेकिन फर्जीवाड़े के कारण अब तक यह राशि 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुकी है और खरीद अभी जारी है। इसका सीधा अर्थ है कि 4 से 5 हजार करोड़ रुपये के फर्जी गेट पास काटे गए हैं और सरकार को अरबों रुपये का चूना लगाया गया है।

किसानों के साथ दोहरी ठगी
किसानों का आरोप है कि मिलर्स और अधिकारियों की मिलीभगत से किसानों को एमएसपी से 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल कम भुगतान किया गया। इस तरह 175 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी सीधे किसानों के साथ की गई है। किसानों का कहना है सरकार किसानों का हक लूट रही है और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से जनता के पैसे की लूट मचा रही है।

संलिप्तता और जिम्मेदार अधिकारी
रतनमान ने आरोप लगाया कि इस घोटाले में राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों की सीधी संलिप्तता है। सबसे अहम बात यह है कि सरकार ने आईएएस डी. सुरेश जैसे अधिकारी को खरीद विभाग का मुखिया बनाया, जिनपर पहले से कई भ्रष्टाचार के मामले विचाराधीन हैं।
किसानों का कहना है कि बिल्ली को दूध की रखवाली दे दी गई। सरकार को ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को इस तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से दूर रखना चाहिए था। लेकिन ऐसा न कर के सरकार ने भ्रष्टाचार को खुली छूट दी।

करनाल बना लूट का केंद्र बिंदु
जहां अन्य जिलों में धान की आमद घटी, वहीं करनाल में असामान्य रूप से धान की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
जिला 2024 की आमद (मीट्रिक टन) 2025 की आमद (मीट्रिक टन) अंतर
अंबाला 6,60,000 5,53,000 -1,07,000
जींद 2,07,000 1,89,000 -18,000
कुरुक्षेत्र 10,30,000 9,61,000 -61,000
करनाल 8,40,000 10,01,000 +1,61,000
स्पष्ट है कि करनाल में हुए इस असामान्य इज़ाफे के पीछे गंभीर फर्जीवाड़ा और मंडी स्तर पर धांधली की भूमिका है।

भाकियू की मुख्य मांगें
धान घोटाले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए। आईएएस डी. सुरेश सहित जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर तत्काल कार्रवाई की जाए। किसानों को दिए गए एमएसपी से कम भुगतान का अंतर तुरंत चुकाया जाए। भ्रष्टाचार में लिप्त मिलर्स और मंडी अधिकारियों की लाइसेंस रद्द किए जाएं। छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाना बंद किया जाए और मुख्य दोषियों को सजा दी जाए।
भाकियू प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले। अगर इस धान घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो भारतीय किसान यूनियन पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन छेड़ेगी। सरकार और अफसरशाही को किसानों की लूट का जवाब देना होगा।

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