– कश्मीरी सेवक समाज एवं भारत सेवा प्रतिष्ठान ने संयुक्त रूप से किया शुकराना सभा का आयोजन
फरीदाबाद, 26 नवंबर। ‘हिन्द की चादर’ धन श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें शहीदी दिवस के पावन अवसर पर कश्मीरी सेवक समाज और भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में सेक्टर-17 स्थित शारिका भवन में एक भव्य ‘शुकराना सभा’ का आयोजन किया गया। इस सभा में समाज के विभिन्न वर्गों ने एकजुट होकर गुरु साहिब और उनके साथ शहीद हुए भाई मतिदास, भाई सती दास और भाई दयाला को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दिलीप लंगु द्वारा ‘सतनाम श्री वाहे गुरु’ के भावपूर्ण गायन से हुआ, जिसने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर कश्मीरी सेवक समाज के उपाध्यक्ष काशी आखून ने गुरु साहिब को सूर्य के प्रकाश के समान बताते हुए कहा कि औरंगजेब के अत्याचारों और जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ गुरु तेग बहादुर जी ढाल बनकर खड़े हुए। उन्होंने अपना शीश दे दिया, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा। राजेंद्र सिंह ने अपनी कविता “ना डाला एक बूंद पानी, आँख से एक बूंद पानी” के माध्यम से सभी की आँखें नम कर दीं।
जेएनयू के पूर्व वीसी और पद्मश्री डॉ. सुधीर सोपोरी ने कहा कि गुरुओं की शहादत सनातन धर्म और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए थी, और आज भी हमें उन परिस्थितियों से सतर्क रहने की आवश्यकता है। गुरुद्वारा सिंह सभा (सेक्टर-15) के हजूरी रागी भाई दीदार सिंह ने संगत को संबोधित करते हुए याद दिलाया कि गुरु साहिब के साथ शहीद होने वाले भाई मतिदास और सतीदास भी कश्मीरी समाज का ही अभिन्न अंग थे।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य सरदार रविन्द्र सिंह राणा ने गुरु नानक देव की शिक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हमें जुल्म के खिलाफ निडर होकर खड़ा होना चाहिए। वहीं, भारत सेवा प्रतिष्ठान के चेयरमैन श्री कृष्ण सिंघल ने इस बात पर जोर दिया कि एक जागृत कौम ही इतिहास से सबक लेती है और संगठित होकर चुनौतियों का सामना करती है, ताकि 1947 या 1990 जैसी त्रासदियां दोबारा न हों।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बी.आर. भाटिया, राजकुमार सीकरी, सुरिंदर बंसल, राकेश गुप्ता और दीपक अग्रवाल उपस्थित रहे। इस दौरान शहर के विभिन्न गुरुद्वारों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित सरदार एस.एस. बांगा, विहिप के रॉस बिहारी, पार्षद सरदार कुलदीप सिंह साहनी, सरदारनी राना कौर भट्टी और जगदीश चौधरी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
समाजसेवी अरुण वालिया ने अंत में कहा कि हम गुरु तेग बहादुर के सदैव ऋणी रहेंगे। जिनकी शहादत के कारण आज सनातन धर्म जीवित है। सभा का समापन लंगर प्रसाद वितरण के साथ हुआ।







