
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ऋतु यादव ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) गांव स्तर पर बच्चों के लिए सुरक्षा तंत्र खड़ा करने के लिए सरपंचों की हरसंभव मदद करने को तैयार
डीसीपीयू की अगुआई में गैरसरकारी संगठनों के सहयोग से हुए कार्यक्रम में 28 सरपंचों ने लिया हिस्सा
फरीदाबाद | जिला उपायुक्त विक्रम सिंह के दिशानिर्देश पर मिशन वात्सल्य के तहत बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए फरीदाबाद ब्लॉक के सभी सरपंचों के एक प्रशिक्षण शिविर में जिले की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ऋतु यादव ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) गांव स्तर पर बच्चों के लिए सुरक्षा तंत्र खड़ा करने के लिए सरपंचों की हरसंभव मदद करने को तैयार है। जिला बाल सुरक्षा समिति (डीसीपीयू) एवं गैरसरकारी संगठनों एमडीडी ऑफ इंडिया व शक्ति वाहिनी के सहयोग से आयोजित इस शिविर में फरीदाबाद ब्लॉक के 30 में से 28 गांवों के सरपंचों सहित जिला बाल संरक्षण अधिकारी, पुलिस, ट्रैफिक पुलिस, जिला शिक्षा अधिकारी, बाल कल्याण समिति सहित जिला प्रशासन के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ग्राम स्तरीय बाल सुरक्षा समितियों को मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा की गई।
नागरिक समाज संगठनों शक्ति वाहिनी और एमडीडी ऑफ इंडिया ने जिला उपायुक्त को पत्र लिखकर मिशन वात्सल्य के तहत बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए सरपंचों को जागरूक बनाने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की मांग की थी। शक्ति वाहिनी और एमडीडी ऑफ इंडिया बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठन हैं। जेआरसी के इन सहयोगी संगठनों की चिट्ठी पर कार्रवाई करते हुए उपायुक्त ने सभी प्रासंगिक विभागों के अधिकारियों व सरपंचों को इस शिविर में मौजूद रहने की हिदायत दी थी।
सरपंचों को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि डीएलएसए पूरी ताकत के साथ सरपंचों के साथ है और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरत पड़ने पर कानूनी हस्तक्षेपों के लिए भी हमेशा तत्पर है। यादव ने बताया कि किस प्रकार डीएलएसए गांव और ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक बच्चों के लिए एक सुरक्षा घेरे के निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहा है और बाल विवाह एवं बाल श्रम की रोकथाम के प्रयासों के अलावा यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों के पॉक्सो के तहत दर्ज मामलों में कानूनी मदद कर रहा है।
शिविर में बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (सीएमपीओ) हेमा कौशिक ने सरपंचों से कहा कि वे मिशन वात्सल्य के तहत बच्चों की सुरक्षा के लिए ग्राम स्तरीय बाल सुरक्षा समितियों को मजबूत बनाने की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा किस सरपंच एक रजिस्टर रखें और उसमें बैठकों में हुई चर्चा के ब्योरे दर्ज करें। साथ ही उन्होंने कहा, “कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिलते ही वे इसकी जानकारी उचित अधिकारियों के साथ साझा करने के अलावा बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे शक्ति वाहिनी और एमडीडी जैसे संगठनों को भी दें।” इस दौरान सभी सरपंचों को इन संगठनों के नंबर भी लिखवाए गए ताकि कहीं भी बाल विवाह, बाल मजदूरी या बच्चों के शोषण की खबर मिलने पर उन्हें सूचित किया जा सके।
जिला बाल कल्याण संरक्षण अधिकारी गरिमा सिंह तोमर ने कहा कि अब हमारा लक्ष्य सरपंचों के साथ मजबूत समन्वय कायम करते हुए ग्राम स्तरीय बाल सुरक्षा समितियों को सशक्त बनाना है ताकि बाल विवाह, बाल मजदूरी या बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में तत्काल कार्रवाई की जा सके।
सामाजिक कार्यकर्ता निशि कांत ने इस सफल प्रशिक्षण शिविर के बाद कहा कि सरपंचों को जागरूक करना सबसे जरूरी है क्योंकि बाल अधिकारों की सुरक्षा ग्राम स्तर पर ही सबसे बेहतर तरीके से सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने सभी विभागों की तरफ से मिले सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि राज्य सरकार व जिला प्रशासन बाल अधिकारों की सुरक्षा को गंभीरता से ले रहा है। यह एक स्वागत योग्य पहल है और जिले के अन्य ब्लॉकों के सरपंचों के लिए भी इसी तरह के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे।
एमडीडी ऑफ इंडिया के जिला समन्वयक दीपक भाटी ने कहा कि यह एक नई शुरुआत है और हम इसे आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम गांव-गांव जाएंगे और सरपंचों के साथ तालमेल व समन्वय से ग्राम स्तरीय बाल सुरक्षा समितियों के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा से जुड़े प्रयासों को मजबूती देंगे।