
फरीदाबाद | मानवता, करूणा और निष्काम सेवा का अद्वितीय उदाहरण पेश करते हुए, फरीदाबाद, भूपानि ग्राम स्थित, सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि0) द्वारा दिनाँक 1 जुलाई 2025 से दिनाँक 31 जुलाई 2025 तक चलाया जा रहा विश्वस्तरीय निष्काम सेवा अभियान अब अपनी चरम सीमा पर पहुँचता जा रहा है। देश-विदेश में चल रहे इस निष्काम सेवा अभियान द्वारा अब तक लाखों जरूरतमंदों तक सहायता पहुँचाई जा चुकी है जो स्वयं में एक अनूठा और अभूतपूर्व मानवीय प्रयास है। हैरानी की बात यह है कि यह सेवा अभियान मात्र भारत तक ही नहीं अपितु अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, दुबई, जर्मनी, कुवैत, कतार, इगलैंड आदि जैसे देशों में भी सफलतापूर्वक आयोजित किया जा रहा है। कुदरत के आवाहन को स्वीकारते हुए, ट्रस्ट के समर्पित निष्काम सेवाधारियों ने एकजुट होकर इसे एक वैश्विक सेवा आंदोलन का रूप दे दिया है। ज्ञात हो इस अभियान के तहत् जरूरतमंदों को उनकी आवश्यकता का सामान जैसे राशन, कपड़े, शिक्षण सामग्री एवं भोजन आदि प्रदान किया जा रहा है। इस हेतु ट्रस्ट के स्वयंसेवक झुग्गी बस्तियों, रैन-बसेरों, अनाथालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले असहाय सजनों को खोज-खोज कर उन तक आवश्यक सहायता पहुँचा उन्हें खुशी प्रदान कर रहे हैं। यह खुशी इस ट्रस्ट के निष्काम सेवकों को भी और उदार हदय से यह क्रिया करने में प्रोत्साहित कर रही है। इस संदर्भ में आज प्रात: 5 बजे से ही सतयुग दर्शन वसुन्धरा परिसर के मुख्य द्वार पर जरूरतमंद सजनों का तांता लगा हुआ था। लगभग चार हजार से अधिक लाचार सजनों ने आज यहाँ से सहायता प्रदान कर, भरपेट भोजन किया व प्रसन्नता का इजहार किया, वास्तव मेंही यह दृश्य सजनों देखते ही बनता था।
ज्ञात हो कि इस सेवा अभियान की विशेष बात यह है कि ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने इस शुभ कार्य की समयबद्ध सिद्धि हेतु अपनी एक माह की कुल आय को मानवता की सहायतार्थ खुशी से समर्पित करने का दृढ़ संकल्प लिया है जिसे देखकर लगता है कि यह मात्र सेवा नहीं अपितु निष्काम साधना है। इस संदर्भ में सतयुग दर्शन ट्रस्ट का मानना है कि सच्ची सेवा वही है जो बिना किसी अपेक्षा के लिए की जाए व जिससे सबका हित व सुख सध सके। ट्रस्ट का यह अभियान भी यही संदेश दे रहा है कि न धर्म, न जाति, न पहचान… केवल मानवता ही सर्वोपरि है। अत: यह सेवा न केवल मानवता की सच्ची सेवा का साधन है अपितु यह तो निष्कामता, परोपकारिता, समरसता जैसी चेतना का जनमानस में संचार करने वाला सच्चा आध्यात्मिक जन आंदोलन भी है। इस महत्ता के दृष्टिगत ही ट्रस्ट ने औद्योगिक इकाईयों, संस्थानों और समृद्ध नागरिकों से भी हैसियत अनुसार इस सेवा अभियान में अपना निष्कामता से सहयोग प्रदान करने की अपील की है ताकि समाज का अधिक से अधिक जरूरतमंद वर्ग इस सेवा का लाभ उठा सके। साथ ही समाज में संतोष, त्याग, नि:स्वार्थ सेवा, करूणा जैसे मूल्यों का संचार होने के साथ-साथ मानव धर्म भी प्रतिष्ठित हो सके।
सबकी जानकारी हेतु बता दे कि फरीदाबाद, भूपानि ग्राम स्थित, सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि0) महाबीर सत्संग सभा का विस्तारित रूपांतरण है और इसका परिसर सतयुग दर्शन वसुन्धरा के नाम से प्रसिद्ध है। सतयुग दर्शन वसुन्धरा पर स्थापित ध्यान-कक्ष यानि विश्व का प्रथम समभाव-समदृष्टि का स्कूल जिसका निर्माण सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में विदित कुदरती कला के अनुसार हुआ है, उसकी दिव्यता को दृष्टिगत रखते हुए हरियाणा सरकार ने इसे पावन दर्शनीय स्थल घोषित कर दिया है। इसी तरह भारत सरकार ने भी इसे अतुल्य भारत यानि इनक्रेडिबल इंडिया के तहत् शामिल कर, इसकी वास्तुकला की सुंदरता की अद्वितीय मिसाल माना है। इतना ही नहीं, सबको बता दें कि यहाँ की प्रत्येक गतिविधि वैश्विक स्तर पर हर मानव को सतयुग की आद् संस्कृति से परिचित करा उसे पुन: मानवता का प्रतीक बनाने के निमित्त ही संचालित होती है ताकि आज का विषयग्रस्त मानव समय रहते ही मानवता का स्वाभिमान और सतयुग की पहचान बन अपनी आद् इलाही शान को प्राप्त हो, सजनता का प्रतीक बन सके। इसी के साथ एकता, एक अवस्था में स्थित रहते हुए निष्काम भाव से हर विध् कुदरती वेद-विहित् ज्ञान अनुसार, जगत कल्याण के निमित्त समर्पित हो, परोपकार प्रवृत्ति में ढ़ल सके और निर्विकारिता से जीवन जीने के योग्य बन सके। जानो यहाँ से हर सजन को मानवता का प्रतीक बनाने हेतु अन्य कई कार्यक्रम भी चल रहे हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य है कि आज के समय काल में मानसिक रूप से संतप्त हर मानव पुन: शांति शाक्ति का प्रतीक बन सके। उसके लिए मानवता-ई-ओलमपियाड, Spiritual Eloquence, Spiritual Echoes द्वारा हर मानव को भाव-स्वभाव परिवर्तित करने के लिए उत्साहित किया जा रहा है ताकि वह भ्रष्टाचारिता, दुराचारिता, व्यभिचारिता के स्वभाव से ऊपर उठ, पुन: सदाचारिता का प्रतीक बन, यथार्थ रूप से मानवता की पहचान बने। ज्ञात हो जहाँ इन गतिविधियों का लक्ष्य आत्मज्ञान के सद्प्रभाव से हर मानव के मन-मस्तिष्क को स्थिर रखते हुए, परिवारों में एकता व शांति का वातावरण का निर्माण करना है, वही वैश्विक स्तर पर हर मानव के मन को वसुधैव कुटुम्बकम्ब के भाव से भी सींचना है। याद रखो ऐसा भाव स्वाभाविक परिवर्तन होने पर ही हर मानव सतयुग की संस्कृति को अपनाने के योग्य बन, जीवन में हर क्षण सत्य धर्म पर टिका रह सकता है व यश कमा सकता है। अत: इस भाव-स्वाभाविक परिवर्तन के खेल को समझते हुए हमारे लिए भी बनता है कि हम सतयुग दर्शन ट्रस्ट की इन गतिविधियों से जुड कर लाभान्वित हो और सजनता का प्रतीक बनें। आपकी जानकारी हेतु आप इस हेतु प्ले स्टोर पर जाकर, सतयुग दर्शन ट्रस्ट की ऐप डाउनलोड कर सकते हैं व सहज ही सतयुगी संस्कृति अपना जीवन सार्थक करने का शुभारंभ कर सकते हैं।