” एहसासों का नूर ” पुस्तक विमोचन और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न

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दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की प्रतितिष्ठत साहित्यिक संस्था “पोएट्री विद मोहिनी” के तत्वावधान में संस्था का दसवाँ सफलतम कार्यक्रम अत्यंत हर्षोल्लास के माहौल में दिनाँक एक जून दिन रविवार को सुबह ग्यारह बजे से आयोजित हुआ। वहाँ संस्था द्वारा “एक कदम समाज की ओर” के तहत कैंसर पीड़ितों की सहायता के लिए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन अत्यंत हर्षोल्लास के माहौल में गाजियाबाद जिला के इंदिरापुरम स्थित कला आकार स्टूडियो में वाराणसी से पधारे स्वरों के धनी सुप्रसिद्ध “ गजलकार गोपाल केशरी जी” की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि राजस्थान से पधारे वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर अंतर्राष्ट्रीय लेखक, पत्रकार और विचारक “डॉ शम्भू पंवार जी”रहे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली की सुप्रसिद्ध साहित्यकारा एवं समाज सेविका “डॉ गीतांजलि अरोड़ा ‘नीरज “ और “गोल्डी गीतकार” उपस्थित रहे। संचालन “पोएट्री विद मोहिनी” की संस्थापिका एवं श्रंगार की राष्ट्रीय कवयित्री एवं शायरा डॉ सुमन मोहिनी ‘ सलोनी ‘ ने किया।
माँ सरस्वती की पूजा अर्चना के बाद राष्ट्रगान गाया गया। तत्पश्चात् मंचस्थ अतिथियों द्वारा कवि रामसिंह ‘ हलचल ‘ की पुस्तक ” एहसासों का नूर ” का विमोचन और समीक्षा की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम के प्रायोजक विजय नगर, अजमेर, राजस्थान के प्रमुख वस्त्र व्यवसायी मरूधर टेक्सटाइल के मालिक “अजय कुमार जैन” और उनकी पत्नी “श्रीमती रेखा पोखरणा” शामिल रही।

वही मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए “ डॉ शम्भू पंवार” ने “एहसासों का नूर” पुस्तक को रामसिंह की लेखनी का एक नायाब दस्तावेज बताया जो उनका अब तक का लेखन है।
अध्यक्षता कर रहे “गोपाल केशरी जी” ने “एहसासों का नूर” की शाब्दिक ब्याख्या की। किताब से कुछ अंशों का जिक्र किया। रचनाकार “रामसिंह हलचल” ने पुस्तक की प्रमुख रचना का सस्वर पाठ किया- एहसास बताने निकला हूँ मैं अपने भारत देश का।

आगे, हंसी- खुशी का यही माहौल और भी खुशनुमा हो गया जब कि जैन जुगल जोड़ी अजय और रेखा जी के सालगिरह होने की बात संचालिका द्वारा उद्घोषणा की गई। प्रांगण तालियों की गडृगड़ाहट से गूंज उठा। हैपी एनवर्सरी की उद्घोष के साथ केक काटा गया। सबको बांटा गया। जुगल जोड़ी को युगों – युगों तक साथ – साथ यूं ही रहने की मंगलमय कामना के साथ करतल ध्वनि करते हुए बधाइयाँ और शुभकामनाएँ दी गई।

कार्यक्रम के अगले चरण में कवि सम्मेलन का शुभारंभ माँ सरस्वती की पूजा अर्चना अध्यक्षता कर रहे स्वरों के धनी सुप्रसिद्ध “गजलकार गोपाल केशरी” जी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में किया। श्रोतागण वाह वाह करते रहे। और उनकी चिरपरिचित रचना जैसे शादीशुदा हूँ फिर भी कंवारा हूँ दोस्तों – को दोबारा – दोबारा सुना गया। ” उल्फत किए जा इश्क़ में, बदनाम हो गये। कुछ जिंदगी में अपने ही गुमनाम हो गये।।
जैसी रचनाएँ सुनाकर कुछ अलग ही छाप छोड़ी। आज के
कवि सम्मेलन की प्रथम कवयित्री अनम परवीन ने अपने सुरीले अंदाज में जहाँ अति सुंदर रचना प्रस्तुत किया। वहीं अलीगढ़ के वीरेंद्र कौशल ने खूबसूरत रचना से वाहवाही लूटी। कवयित्री
मीनाक्षी शर्मा ‘मनु’ ने कहा – कारे- कारे मेघ तुम धरा को हरा कर दो। कवयित्री मधूलिका ने पढ़ा- मैं राधिका तेरी, तुम श्याम मेरे प्रियतम। श्रोताओं ने “श्रुति यादव” की ओजपूर्ण रचना की तालियां बजाकर सराहना की।
सुप्रसिद्ध रचनाकार जितेंद्र यादव ‘ चंबल ‘ ने कहा- देश – धरम की बात जो आई तो अंगार लिखूंगा।
मोहाली चंडीगढ़ की “आरज़ू” ने कहा – सुनते – सुनते थक गए, अब कहने की आदत हो गई। जिंदगी के कुछ पन्ने क्या पढ़े, कहानी सुनाने की आदत हो गई।।
दौसा, राजस्थान के “दयाराम खोरवाल” ने कहा – कैसा हिंदुस्तान लिखूँ।
ग्रेटर नोएडा से आए “सत्य मोहन सक्सेना” ने कहा – भारत पर जो तिरछी होगी, हर आंख निकाली जाएगी। श्रंगार की राष्ट्रीय कवयित्री एवं शायरा “डॉ सुमन मोहिनी सलोनी” ने अपनी ग़ज़ल “तेरे दीदार से ये दिल, गुले गुलज़ार होता है, से तालियाँ बटोरी और वाहवाही लूटी। कवयित्री “रजनी बाला सहज” ने कहा – पर बीती हुई दिल से भुलाई नहीं जाती। कवि “प्रवीण रंजन” जौनपुरी ने अपनी दास्तान कुछ यूँ बयां किया – बेवजह मुस्कराया नहीं जा रहा।
“सतवीर चौधरी” ने कैसर पीड़ितों के लिए अपनी एक यादगार रचना पहली बार पढ़ी। “प्रदीप कुमार” गजलकार ने कहा- मैं मुकद्दर का सताया हाथ ही मलता रहा।
कवि “अभिषेक मिश्रा” ने माँ को समर्पित अपनी भावभीनी रचना पढ़ी – कौने कोठरिया लुकानू मोरी मावा। कवि एवं पत्रकार “सुभाष श्रीवास्तव” ने गर्मी के वर्तमान परिवेश का जिक्र कुछ यूँ किया – गर्मी आई है, आई है; गर्मी आई है। -2
आठ महीनों बाद, लौट हमारे पास, लौट के आई, आई है। गर्मी आई है, आई है; गर्मी आई है।।
कवि “ऋषि मौर्य” ने चिरपरिचित रचना से वाहवाही लूटी – ऐसा लगता है पापा, जादू – टोना जानते हैं। रायबरेली से आए कवि “भारत मौर्य” ने भगवान राम के प्रति अपना भक्तिपूर्ण रचना पढ़ी और तालियाँ बटोरी। अतिथि अजय जैन जी के आग्रह पर “सैय्यद बदरूद्दुजा” ने अपनी छोटी- छोटी किंतु भावपूर्ण रचना पाठ किया। ओज के जुझारू कवि “शिवम बर्मन” ने माहौल को नयी दिशा देने वाली रचना पढ़ी। वरसाना से आई “ईशा भारद्वाज” ने भक्ति गीतों से श्रोताओं को रिझाया। इसके अलावा अपनी रचनाओं से कवि सम्मेलन को ऊंचाइयां प्रदान करने वाले रचनाकारों में देवेश अवस्थी, अर्शमान पंजाब, डिंपल विकल खटाना, शिवानी स्वामी, रितु रस्तोगी कहकशाँ, वीरेंद्र बेधड़क, कुमार प्रभाष, सावन, प्रियांशु नेगी, विवेक तिवारी, आतिशी, छवि कुमार, प्रमोद प्रजापति, सोनम, विमल कुमार बेबी, वीरेंद्र कुमार बेधड़क आदि – आदि रचनाकारों और सुधी श्रोताओं से प्रांगण खचाखच भरा रहा। कार्यक्रम के दौरान आंधी – पानी के बिगड़ैल मौसम से जहाँ विद्युत व्यवस्था प्रभावित हुई और कार्यक्रम बाधित हुआ वहीं अभाव में भी प्रभाव कायम रहा । धैर्य और उत्साह बराबर बना रहा। अंत में सभी रचनाकारों को उनके उत्कृष्ट काव्य पाठ के लिए सम्मानित अतिथियों द्वारा मोमेंट और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में लगभग बीस से पच्चीस श्रोता भी मौजूद थे जिन्होंने सभी कवि कवयित्रियों न सिर्फ सुना बल्कि तालियों से उनका उत्साहवर्धन भी किया ।कार्यक्रम को सफल की ऊंचाइयों पर ले जाने वाली जुझारू टीम के सदस्यों क्रमशः ऋषि मौर्य, शिवम बर्मन, सैय्यद बदरूद्दुजा, अभिषेक मिश्रा , भारत मौर्य और मीडिया प्रभारी सुभाष श्रीवास्तव जी अग्रणी भूमिका रही। कार्यक्रम के समापन पर सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकटन राष्ट्रीय कवयित्री, शायरा एवं “पोएट्री विद मोहिनी” की संस्थापिका डॉ सुमन मोहिनी सलोनी द्वारा किया गया।

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