गीता की शिक्षाएं आंतरिक चेतना में परिवर्तन लाती हैं : परमात्मा दास

Spread the love

– युवा पीढ़ी के लिए गीता का संदेश अत्यंत आवश्यक : एसडीएम अमित कुमार

– अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत विशेष व्याख्यान, छात्राओं को मिला गीता का व्यावहारिक ज्ञान

– श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व पर धार्मिक संस्थानों के प्रवक्ताओं ने साझा किए विचार

 

फरीदाबाद, 28 नवंबर। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत उपायुक्त विक्रम सिंह के मार्गदर्शन में सेक्टर-16ए स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय में “गीता मनीषी द्वारा गीता के महत्व” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एसडीएम फरीदाबाद अमित कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के प्रधानाचार्य घनश्याम दास, मॉस मीडिया की अध्यक्षा शालिनी खुराना की देख रेख में में हुआ।
मुख्य वक्ता के रूप में इस्कॉन मंदिर से परमात्मा दास ने बताया कि संस्था के संस्थापक आचार्य ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद ने 70 वर्ष की आयु में भारत से भगवद गीता का ज्ञान लेकर विश्वभर में इसे पहुँचाने का अभियान शुरू किया और व्यक्तिगत रूप से एक अरब से अधिक प्रतियाँ लोगों तक पहुंचाने में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि जैसे हर व्यक्ति के पास अपना मोबाइल फोन है, वैसे ही प्रत्येक घर में गीता की अपनी प्रति होना आवश्यक है, क्योंकि इसे समझने का पहला कदम स्वयं अध्ययन है। श्रील प्रभुपाद ने अमेरिका में “माई एक्सपेरिमेंट विद भगवद गीता” के रूप में गीता के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारकर विशेषकर हिप्पी जनरेशन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास किया। उन्होंने छात्राओं को समझाया कि जैसे मेकअप व्यक्ति के रूप में परिवर्तन लाता है, उसी प्रकार गीता की शिक्षाएं आंतरिक चेतना में परिवर्तन लाती हैं। मानव जीवन को “एयरक्राफ्ट” बताते हुए उन्होंने कहा कि इसकी वास्तविक उड़ान तभी संभव है जब गीता के मार्गदर्शन को व्यवहार में लाया जाए। अर्जुन की दुविधाओं को आधुनिक युवा की उलझनों से जोड़ते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि गीता जीवन की दिशा देने वाला कालजयी मार्गदर्शन है। उन्होंने कहा कि गीता का पहला श्लोक “धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे…” हमें याद दिलाता है कि जीवन का प्रत्येक क्षेत्र कर्तव्य का क्षेत्र है, जहाँ भ्रम की स्थिति मनुष्य को निर्बल कर देती है। 18 अध्यायों की संपूर्ण संवाद प्रक्रिया अर्जुन की “ना करिष्ये” से “करिष्ये” तक की यात्रा है—अर्थात् नकारात्मकता से सकारात्मक चेतना की ओर परिवर्तन।
उन्होंने सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि जैसे मौसम के बदलते तापमान में समायोजन करके जीवन सहजता से चलता है, उसी प्रकार जीवन में सुख-दुःख भी अस्थायी हैं और इन्हें धैर्यपूर्वक स्वीकार करना गीता की प्रमुख शिक्षाओं में से एक है। सत्र में यह भी बताया गया कि चंचल मन को साधना, सकारात्मक प्रयासों को निरंतर जारी रखना और हर परिस्थिति में दिव्य उपस्थिति को अनुभव करना जीवन की सफलता के मुख्य आधार हैं। मन यदि अनियंत्रित हो तो सबसे बड़ा बाधक बन जाता है, और यदि नियंत्रित हो जाए तो सबसे बड़ा साथी बन जाता है। गीता में बताए गए अभ्यास और वैराग्य के माध्यम से मन को स्थिर करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया।
फरीदाबाद एसडीएम अमित कुमार ने कार्यक्रम में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवा अवस्था जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण चरण है, जिसे सही निर्णय-क्षमता, संतुलित दिनचर्या और स्पष्ट लक्ष्यों के साथ दिशा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वही समय है जब विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व, करियर और जीवन-दृष्टि की मजबूत नींव तैयार कर सकते हैं। अपने संबोधन में उन्होंने आलस्य को मनुष्य के विकास में बाधक प्रमुख तत्व बताते हुए इसके त्याग की प्रेरणा दी। उन्होंने संस्कृत भाषा की विशेषताओं और भारतीय ज्ञान परंपरा में उसकी प्रतिष्ठा का उल्लेख किया। इसी संदर्भ में उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के व्यापक साहित्यिक और दार्शनिक आधार को सरल शब्दों में समझाते हुए बताया कि यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिनमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के दौरान उपदेश दिए थे। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और लगभग 700 श्लोक शामिल हैं। उनके अनुसार गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन-प्रबंधन, कर्तव्य-निष्ठा और मानसिक संतुलन का व्यावहारिक मार्गदर्शक है, जिससे विद्यार्थियों को प्रेरणा लेकर अपने भविष्य को अधिक सार्थक बनाया जा सकता है। उन्होंने छात्राओं को अध्ययन, आत्मअनुशासन और लक्ष्य साधना में निरंतरता बनाए रखने का आग्रह किया तथा सकारात्मक विचारों और सत्कर्मों को दैनिक जीवन में अपनाने की सलाह दी।

उन्होंने बताया कि गीता जयंती समारोह हर वर्ष पूरे हरियाणा में मनाया जाता है। इसी क्रम में आज यह सेमिनार आयोजित किया गया। 29 नवंबर से 1 दिसंबर तक यह जिला स्तरीय समारोह सेक्टर-12 स्थित एचएसवीपी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होगा। 29 नवंबर को समारोह का शुभारंभ हवन एवं गीता पूजन से किया जाएगा, जिसमें विभिन्न विभाग प्रदर्शनी लगाएंगे और स्कूली बच्चों व लोक कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। वही 30 नवंबर को श्रीमद्भगवद्गीता कथा, गीता यज्ञ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और गीता आरती आयोजित की जाएंगी। अंतिम दिन 1 दिसंबर को स्कूली बच्चों द्वारा वैश्विक श्लोकोच्चारण, गीता सद्भावना यात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, गीता आरती और दीपदान का आयोजन किया जाएगा।

कार्यक्रम में सिद्धदाता आश्रम से प्रवक्ता शकुन रघुवंशी ने छात्राओं को भगवद गीता के जीवनोपयोगी संदेशों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि गीता न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति के धर्म और कर्तव्य की दिशा निर्धारित करती है। उन्होंने समझाया कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना धर्म और जिम्मेदारी होती है, और जीवन में सफलता पाने के लिए अपने कर्तव्यों के प्रति कृतनिश्चय होना आवश्यक है। उन्होंने अर्जुन और कृष्ण के संवाद का उदाहरण देते हुए बताया कि जब अर्जुन ने कृष्ण को अपना गुरु माना और उनका मार्गदर्शन स्वीकार किया, तभी उसे वास्तविक ज्ञान प्राप्त हुआ। इसी प्रकार, जीवन में भी व्यक्ति को अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना चाहिए और अपने कर्मों में पूर्ण निष्ठा के साथ प्रयास करना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गीता का संदेश चिंता न करने और अपने प्रयासों में अटल रहने की प्रेरणा देता है। उन्होंने छात्राओं को यह समझाया कि नॉलेज प्राप्त करना ही उनका प्रमुख धर्म है और इसे ध्यानपूर्वक ग्रहण करना उनका उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रमाणित और योग्य गुरु से ही ज्ञान ग्रहण करना आवश्यक है, ताकि ज्ञान सही दिशा में और प्रभावशाली रूप से प्राप्त हो।
राजकीय महिला महाविद्यालय की संस्कृत अध्यापिका सोनिया ने छात्राओं को भगवत गीता के जीवनोपयोगी संदेशों से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि गीता आत्म-प्रबंधन सिखाने वाला महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है, जो हमें अपने आप को समझने, अपने कर्मों में संकल्प और अपने जीवन को व्यवस्थित करने की शिक्षा देता है। उन्होंने कहा कि गीता कर्मयोग की शिक्षा देती है, अर्थात किसी भी परिस्थिति में कर्म से भागना नहीं चाहिए और अपने प्रयासों में आसक्ति न रखकर कर्तव्य का पालन करना चाहिए। उन्होंने 18वें अध्याय का उदाहरण देते हुए समझाया कि किसी भी कार्य के लिए पांच कारण होते हैं—अधिष्ठान, कर्ता, करण, प्रयास और दैव—और केवल अपने कर्मों को ही अपना पूरा श्रेय न दें। इस दृष्टिकोण से व्यक्ति अपने जीवन में फल की चिंता से मुक्त होकर कर्मयोग अपनाता है। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित किया कि वे गीता को पढ़ें, सुनें और जीवन में उतारें। उनका संदेश था: “जियो गीता के संग, सीखो जीने का ढंग, ना घबराओ, जीवन अपना न व्यर्थ गवाया जग को छोड़ो, ना हरि को बिसारो। उन्होंने छात्राओं को गीता के सरल और व्यावहारिक सिद्धांतों के माध्यम से छात्रों को आत्म-विश्वास, लक्ष्य संधान और कर्मयोग का महत्व समझाया गया।
राजकीय महिला महाविद्यालय के हिंदी विषय के अध्यापक रमन ने छात्राओं को भगवत गीता के आदर्शों के माध्यम से जीवन में अनुशासन, लक्ष्य संधान और कृतनिश्चय के महत्व के बारे में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि गीता आत्म-प्रबंधन और कर्मयोग की शिक्षा देती है, जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का पालन कर सकता है। वक्ता ने समझाया कि कर्म में आसक्ति न रखते हुए प्रयास करना और फल की चिंता से मुक्त रहना जीवन में सफलता का मार्ग है। छात्राओं को प्रेरित किया गया कि वे गीता को पढ़ें, सुनें और अपने जीवन में उतारे, ताकि वे आत्मविश्वासी, लक्ष्य निष्ठ और संकल्पशील बन सकें।
कार्यक्रम के दौरान छात्राओं के लिए एक छोटी ध्यान-आधारित गतिविधि आयोजित की गई, जिससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि मनुष्य केवल शरीर नहीं, बल्कि आत्मा है। इस अनुभव के माध्यम से छात्राओं ने जीवन में स्थिरता और आंतरिक शक्ति प्राप्त करने के महत्व को समझा। इसके साथ ही कार्यक्रम में छात्राओं के साथ सवाल-जवाब का सत्र भी रखा गया, जिसमें उन्होंने गीता और जीवन के व्यवहारिक पहलुओं पर अपने विचार साझा किए और अपने संदेह दूर किए। यह सत्र छात्रों के आत्म-चेतना और व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करने वाला रहा।
इस अवसर पर डीआईपीआरओ मूर्ति दलाल, राजकीय महिला कॉलेज की प्राचार्या, संकाय सदस्य तथा बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।

  • Related Posts

    बाल विवाह जागरूकता कार्यक्रम: फरीदाबाद में बाल विवाह मुक्त भारत की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

    Spread the love

    Spread the love  फरीदाबाद, 28 नवंबर। जिला फरीदाबाद के विभिन्न क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ जन-जागरूकता बढ़ाने हेतु विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह कार्यक्रम विशेष रूप से बाल…

    Continue reading
    संचार मंत्रालय का सदस्य बनाने पर परविन्द्र मल्होत्रा(शंटी) ने किया मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का धन्यवाद

    Spread the love

    Spread the love परविन्द्र मल्होत्रा(शंटी) ने हमेशा पार्टी के झड्े को बुलन्द किया है और एक अनुशासन में रहने वाले सिपाही की तरह काम किया है- कृष्णपाल गुर्जर फरीदाबाद। भारत…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    बाल विवाह जागरूकता कार्यक्रम: फरीदाबाद में बाल विवाह मुक्त भारत की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

    बाल विवाह जागरूकता कार्यक्रम: फरीदाबाद में बाल विवाह मुक्त भारत की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

    गीता की शिक्षाएं आंतरिक चेतना में परिवर्तन लाती हैं : परमात्मा दास

    गीता की शिक्षाएं आंतरिक चेतना में परिवर्तन लाती हैं : परमात्मा दास

    संचार मंत्रालय का सदस्य बनाने पर परविन्द्र मल्होत्रा(शंटी) ने किया मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का धन्यवाद

    संचार मंत्रालय का सदस्य बनाने पर परविन्द्र मल्होत्रा(शंटी) ने किया मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का धन्यवाद

    शहीद राजा नाहर सिंह के वंशज राजा राजकुमार तेवतिया का निधन

    शहीद राजा नाहर सिंह के वंशज राजा राजकुमार तेवतिया का निधन

    फरीदाबाद में बाल विवाह रोकथाम अभियान तेज, आंगनवाड़ी व स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

    फरीदाबाद में बाल विवाह रोकथाम अभियान तेज, आंगनवाड़ी व स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

    फरीदाबाद में 22 दिसंबर से लगेगा सरस मेला, 5 जनवरी तक चलेगा आयोजन : डीसी विक्रम सिंह

    फरीदाबाद में 22 दिसंबर से लगेगा सरस मेला, 5 जनवरी तक चलेगा आयोजन : डीसी विक्रम सिंह