
गर्मी आई है, आई है; गर्मी आई है
आठ महीनों बाद, फिर लौट हमारे पास
लौट के आई, आई है। गर्मी आई है, आई है ; गर्मी आई है………
मन मांगे मेरा और – और ।
ठंडी चीजों का दौर – दौर ।।
ठंडा खाना, ठंडा पानी ; हवा ठंडी- ठंडी भायी है। गर्मी आई है, आई है ; गर्मी आई है…..
फ्रिज – कूलर की मांग बढ़ी ।
मटका और सुराही बढ़ी ।।
जलजीरा, नींबू, बेल, सौंफ ठंडाई स्वास्थ्य बढ़ाई है । गर्मी आई है..
मट्ठा – दही और शरबत ।
आम्र पना गन्ना का रस ।।
संग पुदीना पिओ – जिओ, दूना मजा बढ़ाई है। गर्मी आई है……
प्याज को खाओ , लू बचाओ ।
अपना जीवन खुद हर्षाओ ।।
तेज धूप में बचके रहना, जालिम बड़ी हरजाई है । गर्मी आई है…..
ओ आर एस ग्लूकोज़ पिओ ।
शौक से जीवन रोज जिओ ।।
मटका और नल का पानी, अपनी ठाठ जमाई है। गर्मी आई.
बरफ का पानी प्यास बढ़ाए ।
फ्रिज का पानी आस जगाए ।।
सबसे अच्छा कुआँ का पानी, सबपे रंग जमाई है। गर्मी आई है.
क ई नाम से पेय बिके ।
हमको – तुमको ये ठगे ।।
केमिकल से हैं बने – ठने, डाक्टर सलाह बताई है। गर्मी आई है…..\
*सुभाष श्रीवास्तव अचलपुर प्रतापगढ़ उ. प्र.