संस्कार भारती फरीदाबाद द्वारा नव वर्ष कार्यक्रम आयोजित

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फरीदाबाद  | संस्कार भारती फरीदाबाद इकाई द्वारा सैनिक कॉलोनी के प्रसिद्ध शिव मंदिर में हिंदू नव वर्ष  का कार्यक्रम नव वर्षा की प्रातः बेला में किया  गया | कार्यक्रम  में बांसुरी वादक श्रीमान वरुण स्वरूप जी,संस्कार भारती फरीदाबाद इकाई के द्वारा सैनिक कॉलोनी प्रसिद्ध शिव मंदिर में हिंदू नव वर्ष के आगमन में बांसुरी वादन श्रीमान वरुण स्वरूप जी,स्वर साधना मंदिर संगीत की प्रधान अध्यापिका श्रीमती अंजू मुंजाल जी, संगीतग्या म्यूजिक स्कूल की प्रधान अध्यापिका श्रीमती रूबी चटर्जी जी,नृत्ययोग स्टूडियो की डायरेक्टर कथक शिक्षिका रुशाली ग्रोवर ने कथक,भजन, तराना जैसी भावविभोर नृत्य गायन से सुंदर प्रस्तुति दी। इन सभी बच्चों की प्रस्तुति की दर्शकों ने भूरी भूरी प्रशंसा की।मौके पर संस्कार भारती प्रांत की प्रतिनिधि श्रीमती नयनिका घोष जी ने अपने उद्बोधन में पूरे कार्यक्रम की प्रशंसा की साथ युवा बाल कलाकारों को आशीर्वाद देकर सम्मानित किया। संस्था के वरिष्ठ अधिकारी के साथ साथ मुख्य अतिथि ने कहा कि ये युवा बाल कलाकार आज की प्रातः बेला में कला का प्रदर्शन अनोखा शंकर है। संस्कार, व्यक्ति के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. संस्कारों से व्यक्ति के विचार, आचरण, और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आते हैं. संस्कारों के ज़रिए व्यक्ति में नैतिकता, अनुशासन, और सामाजिक ज़िम्मेदारी का विकास होता है। सभी प्रस्तुति करने वाले कलाकारों का मंच पर सम्मान किया गया ।

मंच का संचालन श्रीमती संगीता ग्रोवर जी ने किया। हिंदू नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ करें विक्रम संवत 2082 की शुरुआत,पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इसे गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की भी शुरुआत हुई वर्ष 2025 में 30 मार्च को हिंदू नववर्ष मनाया गया, यानी इसी दिन गुड़ी पड़वा और नवरात्रि का पहला दिन है। इसी के साथ हिंदू कैलेंडर बदल जाएगा और विक्रम संवत 2082 का आरंभ होगा। विक्रम संवत् की स्थापना इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने की थी, जो आज भी हिंदू पंचांग का आधार है। इसी दिन विक्रम संवत को शुरू करने का भी एक धार्मिक कारण माना जाता है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।  इसके अलावा भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।इस त्योहार को मराठी नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, जो मराठियों और कोंकणी हिंदुओं के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक मानते हैं। गुड़ी का अर्थ होता है, भगवान ब्रह्म का ध्वज और पड़वा का अर्थ एक नया चंद्रमा चरण है। हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं भेजकर सभी को आज के दिन का महत्व समझाएं। साथ ही गुड़ी पड़वा और नवरात्रि का पर्व भी धूमधाम से मनाएं। यहां हिंदू नववर्ष के सुंदर संदेश दिए जा रहे हैं। कार्यक्रम पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। मौके पर समाज के लोगों का भरपूर सहयोग रहा तथा संस्कार भारती के विभाग संयोजक श्री नाम सत्यप्रकाश जी, जिला संयोजक श्री सुमन चटर्जी , महेश गोयल जी, धनेश अदलखा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहें।स्वर साधना मंदिर संगीत की प्रधान अध्यापिका श्रीमती अंजू मुंजाल जी, संगीतग्या म्यूजिक स्कूल की प्रधान अध्यापिका श्रीमती रूबी चटर्जी जी,नृत्ययोग स्टूडियो की डायरेक्टर कथक शिक्षिका रुशाली ग्रोवर ने कथक,भजन, तराना जैसी भावविभोर नृत्य गायन से सुंदर प्रस्तुति दी। इन सभी बच्चों की प्रस्तुति की दर्शकों ने भूरी भूरी प्रशंसा की।मौके पर संस्कार भारती प्रांत की प्रतिनिधि श्रीमती नयनिका घोष जी ने अपने उद्बोधन में पूरे कार्यक्रम की प्रशंसा की साथ युवा बाल कलाकारों को आशीर्वाद देकर सम्मानित किया। संस्था के वरिष्ठ अधिकारी के साथ साथ मुख्य अतिथि ने कहा कि ये युवा बाल कलाकार आज की प्रातः बेला में कला का प्रदर्शन अनोखा शंकर है। संस्कार, व्यक्ति के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. संस्कारों से व्यक्ति के विचार, आचरण, और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आते हैं. संस्कारों के ज़रिए व्यक्ति में नैतिकता, अनुशासन, और सामाजिक ज़िम्मेदारी का विकास होता है। सभी प्रस्तुति करने वाले कलाकारों का मंच पर सम्मान किया गया ।

मंच का संचालन श्रीमती संगीता ग्रोवर जी ने किया। हिंदू नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ करें विक्रम संवत 2082 की शुरुआत,पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इसे गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की भी शुरुआत हुई वर्ष 2025 में 30 मार्च को हिंदू नववर्ष मनाया गया, यानी इसी दिन गुड़ी पड़वा और नवरात्रि का पहला दिन है। इसी के साथ हिंदू कैलेंडर बदल जाएगा और विक्रम संवत 2082 का आरंभ होगा। विक्रम संवत् की स्थापना इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने की थी, जो आज भी हिंदू पंचांग का आधार है। इसी दिन विक्रम संवत को शुरू करने का भी एक धार्मिक कारण माना जाता है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।  इसके अलावा भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।इस त्योहार को मराठी नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, जो मराठियों और कोंकणी हिंदुओं के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक मानते हैं। गुड़ी का अर्थ होता है, भगवान ब्रह्म का ध्वज और पड़वा का अर्थ एक नया चंद्रमा चरण है। हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं भेजकर सभी को आज के दिन का महत्व समझाएं। साथ ही गुड़ी पड़वा और नवरात्रि का पर्व भी धूमधाम से मनाएं। यहां हिंदू नववर्ष के सुंदर संदेश दिए जा रहे हैं। कार्यक्रम पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। मौके पर समाज के लोगों का भरपूर सहयोग रहा तथा संस्कार भारती के विभाग संयोजक श्री नाम सत्यप्रकाश जी, जिला संयोजक श्री सुमन चटर्जी , महेश गोयल जी, धनेश अदलखा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहें।

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