
फरीदाबाद । ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर 86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में प्रदेश के मेडिकल इतिहास में पहली बार एक दुर्लभ किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। इस प्रक्रिया में महिला डोनर के पेट पर कोई चीरा नहीं लगाया गया, बल्कि उन्नत लैप्रोस्कोपिक तकनीक का उपयोग कर उसके गुप्तांग के माध्यम से किडनी निकाली गई और उसके पति में प्रत्यारोपित की गई। अस्पताल के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार और वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सौरभ जोशी के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक अनुभवी टीम ने इस जटिल और दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया। डॉक्टरों के अनुसार, यह प्रक्रिया मरीज के लिए ज्यादा सुरक्षित और कम दर्दनाक होती है, क्योंकि इसमें बड़े चीरे लगाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे रिकवरी भी तेज होती है। ग्रेटर फरीदाबाद निवासी 48 वर्षीय अग्नेश्वर रॉय को कई सालों से किडनी की बीमारी थी। इस कारण वह लंबे समय से डायलिसिस पर थे। परिवार की सहमति पर उनका किडनी ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया। उनकी पत्नी अर्पिता किडनी देने के लिए आगे आई।
कैसे हुई अनूठी सर्जरी?
डॉ.जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस तकनीक में महिला डोनर की किडनी को एक विशेष नैचुरल ओरिफिस ट्रांसल्युमिनल एंडोस्कोपिक सर्जरी (NOTES) प्रक्रिया के माध्यम से निकाला गया। यह एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें प्राकृतिक छिद्रों (गुप्तांग या अन्य शरीर के छिद्रों) के जरिये अंग निकालने की तकनीक अपनाई जाती है। इस पद्धति से किए गए ऑपरेशन में डोनर को कम से कम दर्द होता है और उनका अस्पताल में ठहरने का समय भी कम हो जाता है।
मरीज और परिवार की प्रतिक्रिया
डोनर महिला और उनके पति, जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, दोनों स्वस्थ हैं और तेजी से रिकवर कर रहे हैं। मरीज के परिवार ने एकॉर्ड अस्पताल और उसकी मेडिकल टीम का आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि यह ट्रांसप्लांट उनके जीवन में एक नया सवेरा लेकर आया है।
चिकित्सा जगत के लिए मील का पत्थर
डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि यह प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जहां इस उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि यह भविष्य में किडनी डोनेशन से जुड़ी झिझक को कम करेगा, खासकर महिलाओं के बीच, क्योंकि इसमें शरीर पर कोई निशान नहीं बनता।
वरिष्ठ सर्जन डॉ. सौरभ जोशी ने बताया कि किडनी दान के लिए यह एक बेदाग सर्जरी है। उन्होंने बताया कि
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी ने अंगदान में क्रांतिकारी बदलाव लाया है, जिससे अंगदान दाताओं को सुरक्षित और कम दर्दनाक अनुभव मिलता है। ऐसा ही एक उन्नत तकनीक नोट्स है।
जिसमें किडनी को शरीर के प्राकृतिक मार्ग जैसे कि योनि के माध्यम से निकाला जाता है, जिससे पेट पर कोई बाहरी निशान नहीं रहता।
केस विवरण
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.दिव्या कुमार बताया कि 48 वर्षीय अर्पिता का पहले सामान्य प्रसव हो चुका था, उन्हें हल्का पेट का मोटापा था। डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने नोट्स तकनीक से ट्रांसप्लांट कराया। जिसमें ट्रांसवजाइनल किडनी एक्सट्रैक्शन किया गया। यह तकनीक न केवल सौंदर्य की दृष्टि से लाभदायक है, बल्कि इसमें कम दर्द, तेजी से रिकवरी, और सर्जरी से जुड़े संक्रमण या हर्निया के कम जोखिम भी हैं।
तकनीक के फायदे
डॉ. वरुण कटियार ने बताया कि इस तकनीक में किडनी को योनि मार्ग से निकाला जाता है, जिससे बड़े पेट के चीरे की आवश्यकता नहीं होती। मरीज कम दर्द और तेजी से ठीक होकर जल्दी सामान्य जीवन में लौट सकता है।
इसके अलावा संक्रमण और हर्निया का कम खतरा भी कम होता है। ऑपरेशन के दौरान कोई भी बाहरी निशान न होने से रोगी की आत्म-छवि और संतुष्टि बेहतर होती है। इस अनूठे ट्रांसप्लांट के सफल होने के बाद, एकॉर्ड अस्पताल ने चिकित्सा जगत में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह नई तकनीक भविष्य में किडनी प्रत्यारोपण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।