पहलगाम की चीख़ें

जब बर्फ़ीली घाटी में ख़ून बहा, तब दिल्ली में सिर्फ़ ट्वीट हुआ। गोलियाँ चलीं थी सरहद पार से, पर बहस चली—”गलती किसकी है सरकार से?” जो लड़ रहे थे जान…

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क्यों कलियुग को आध्यात्मिक प्रगति के लिए सबसे श्रेष्ठ युग माना गया है?

प्राचीन शास्त्रों में चार युगों का उल्लेख है – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। ये युग केवल समय की इकाइयाँ नहीं हैं, बल्कि मानव चेतना और आध्यात्मिक विकास की अलग-अलग…

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“बाबा बुलेटप्रूफ: श्रद्धा के पीछे सुरक्षा की फौज”

मोक्ष की बात, मगर मौत का डर: बाबा की सुरक्षा का रहस्य “बाबा की सुरक्षा: आत्मा अमर है, लेकिन बॉडीगार्ड चाहिए!” जो संत मोक्ष, आत्मा की अमरता और मृत्यु से…

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सत्ता, शहादत और सवाल : जलियांवाला बाग की आज की प्रासंगिकता

जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच जटिल रिश्ते का प्रतिबिंब भी है। जनरल डायर द्वारा किए…

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भारत में गर्मी का जल्दी आना और लू का बढ़ना

बढ़ते तापमान से कृषि, जल संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी में असामान्य रूप से अधिक गर्मी, रात के तापमान में वृद्धि, समुद्री तापमान…

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लुप्त होती हरियाणा की अनमोल विरासत रागनी कला

हरियाणवी लोकसंस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग रागनी आज विलुप्ति के कगार पर है। मनोरंजन के आधुनिक साधनों के आगमन और बदलते सामाजिक परिवेश के कारण यह कला पिछड़ती जा रही…

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महिला पुरस्कारों की गरिमा और निष्पक्षता पर उठते प्रश्न

हमारे तेज़ी से बदलते सामाजिक और राजनीतिक माहौल में, महिला पुरस्कारों का महत्त्व और आवश्यकता जांच के दायरे में आ रही है। हाल ही हरियाणा में महिला दिवस पर विवादित…

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*मस्ती और ठिठोली, लेकर आई होली।* ————बुरा न मानो, होली है”

होली एक जीवंत और रंगीन उत्सव है जो प्रेम, एकता और एकजुटता का प्रतीक है। यह हमारे मतभेदों को दूर करने और सद्भाव, क्षमा और खुशी को अपनाने का समय…

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अपनी कला के जरिये संस्कृति को बचाने की कोशिश में लगे मास्टर छोटूराम

 (हरियाणा शिक्षा विभाग में प्राथमिक शिक्षक मास्टर छोटूराम आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है। देश-विदेश में हज़ारों स्टेज कार्यक्रम दे चुके मास्टर छोटूराम देश के वीर-शहीदों शहीद भगतसिंह, सुभाष…

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सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े हुए हैं प्रदर्शन कलाएँ और रंगमंच

मजदूर वर्ग को आजाद कराने और स्थापित सत्ता के खिलाफ क्रांति को मज़बूत करने के लिए 20वीं सदी की शुरुआत में नुक्कड़ नाटक का विकास हुआ। इसकी शुरुआत मुख्य रूप…

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